चांदनी
रात मे दो चाँद के दीदार ना हो
सुनों भवरों मेरी
गुजारिश तुम कबूल करो
तुम मेरे चाँद के
आगे नकाब बन के चलो
आज की रात मेरा चाँद आ रहा मिलने
इतना सफाक़ उजला
चाँद देखा है किसने
चाँद फलक मे भी ,है
चाँद जमी पर भी यहाँ
वहाँ है दाग लिए चाँद ,है चाँद बेदाग यहाँ
फलक का चाँद कही खुद
से शर्मसार ना हो
चांदनी रात मे दो
चाँद के दीदार ना हो
जितेन्द्र
मणि
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