Wednesday, 1 August 2012

मंदिर भी बनाओ यहाँ मस्जिद भी बनाओ 

मंदिर भी बनाओ यहाँ मस्जिद भी बनाओ
पर पहले खुदा को जरा मन मे तो बसाओ
माला तिलक घंटी से अब बनेगी नहीं बात
चिल्ला के बोलने से खुदा सुनते नहीं बात
उसमे जरा सा भाव का भी लेप लगाओ
इंसान के जज्बातों को भी दो जरा तरजीह
उसको न कष्ट दो कभी उसको ना रुलाओ  
इंसानियत से है जुड़ा हर धर्म का आधार
इंसान बन के सबसे पहले मुझको दिखाओ

जीतेन्द्र मणि  

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