क्या फिर से भूल गये
आज किया वादा है
एक अरसा
हुआ मुझे नहीं देखा उन्हे हमने
ये बेताबी
और बेचैनी बहुत ज्यादा है
सताना
थोड़ा बहुत यार की रसम ही सही
क्या अब
तो माँर डालने का ही इरादा है
न वो आते
है न उनका संदेसा आता है
क्या फिर
से भूल गये आज किया वादा है
चले आओ
धड्कने आज बहुत तेज हुई
धडकने
थमने के आसार भी तो ज्यादा है
जितेन्द्र
मणि
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