Wednesday, 15 August 2012


क्या फिर से भूल गये आज किया वादा है

एक अरसा हुआ मुझे नहीं देखा उन्हे हमने  

ये बेताबी और बेचैनी बहुत ज्यादा है

सताना थोड़ा बहुत यार की रसम ही सही

क्या अब तो माँर डालने का ही इरादा है

न वो आते है न उनका संदेसा आता है

क्या फिर से भूल गये आज किया वादा है

चले आओ धड्कने आज बहुत तेज हुई

धडकने थमने के आसार भी तो ज्यादा  है
जितेन्द्र मणि   

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