जिंदगी
जिंदगी से भाग मत वरना
बहुत ये भगायेगी
जिंदगी को भींच के रख
अपनी बाहों मे
सम्हाल
वरना ये तो रेत की
माफिक फिसलती जायेगी
धुप भी है छाँव है ,गम
औ खुशी की नाव है
एक सिल्ली बर्फ की
है
दर्द है अहसास है
कभी लगती दूर तो
लगती कभी ये पास है
एक दरिया है जो बहता
सूखता जो जा रहा
पी ले तू जी भर इसे
ये सूख एक दिन
जायेगी
जिंदगी से भाग मत वरना
बहुत ये भगायेगी
जितेन्द्र
मणि
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