Wednesday, 8 August 2012


माना की जिन्दगी के इम्तेहान है बड़े

माना की जिन्दगी के इम्तेहान है बड़े

हिम्मत भी तेरे पास कुछ कम नही

आसमा मे बिजलियों का कारवाँ इतना

फलक छूने की हसरत भी तो कम नहीं

सागर मे है तुफानो का ये सिलसिला मगर

पीछे लौटना तेरी फितरत तो नही

माना अँधेरा रात लंबी काटनी मुश्किल  

चराग ए हौसला जलाने को लहू तो कम नहीं

मन की राह ए इश्क में बदनामियां बहुत

बदनामियों से भी मिली शोहरत तो  कम नहीं  

जहा के जख्म से है सज़ गया जिसम मेरा

जज्बा लड़ने का फिर भी हुआ तो कम नही

निसार दिल ही जब है कर दिया सनम को तो

निसार जान करने का जज्बा भी तो कम नही

जितेन्द्र मणि  

No comments:

Post a Comment