माना की जिन्दगी के
इम्तेहान है बड़े
माना की जिन्दगी के
इम्तेहान है बड़े
हिम्मत भी तेरे पास
कुछ कम नही
आसमा मे बिजलियों का
कारवाँ इतना
फलक छूने की हसरत भी
तो कम नहीं
सागर मे है तुफानो
का ये सिलसिला मगर
पीछे लौटना तेरी
फितरत तो नही
माना अँधेरा रात
लंबी काटनी मुश्किल
चराग ए हौसला जलाने
को लहू तो कम नहीं
मन की राह ए इश्क
में बदनामियां बहुत
बदनामियों से भी
मिली शोहरत तो कम नहीं
जहा के जख्म से है सज़
गया जिसम मेरा
जज्बा लड़ने का फिर
भी हुआ तो कम नही
निसार दिल ही जब है
कर दिया सनम को तो
निसार जान करने का
जज्बा भी तो कम नही
जितेन्द्र मणि
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