ताज महल
वफ़ा फितरत
थी मेरी
मैने बस
वफायें दी
वो बेवफा
थी उसने
संग मेरे
ज़फाये की
दिल दिया
जान भी
लुटा दी
है प्यार मे मैने
उसने मेरे
प्यार को
जाने क्यों
बद्दुआयें दी
क्या
सिर्फ ताज ही
मिसाल ए
मुहब्बत यारों
गरीब का
भी दिल तो
धड़क सकता
है यारों
क्या
प्यार है फरेब
जो ना बना
पाए ताज
कोई मुझको
भी जरा
ये तो
बताएगा आज
निशानी है
अमीरी की या
मिसाल ए
वफ़ा है ये ताज
जितेन्द्र
मणि
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