प्यार
ये जो
रिश्तों का जहाँ है बड़ा अजब प्यारों
इसे समझना
है बड़ा कठिन गज़ब प्यारों
कोई है इस
कदर अजीज़ अपने दिल को तो
हम उसके
वास्ते जाँ तक निसार कर देंगे
किसी की
एक हंसी एक मुस्कराहट को
अपना हर
खाब आरजू निसार कर देंगे
कोई अपने
से भी प्यारा भी है अज़ीज़ भी है
दिल है
कायल उसी का उसी का मुरीद भी है
उसके चाहत
मे कितना अरसा यू गुजारा है
उसको
नज़रों के ज़रिये रूह मे उतारा है
उसकी
खातिर ही सब निसार करेंगे यारों
इस तरह
जाँ ए जाँ से प्यार करेंगे यारों
जितेन्द्र मणि
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