Wednesday, 8 August 2012


वो बन गया खुदा कभी भगवान बन गया

जाने  ये किस नशे मे हुआ चूर आदमी     

चंदा से फासले मे कितनी आ गयी कमी

मंगर पे पैर रखने को तैयार आदमी

चंदा पे करके चहल कदमी आज देख लो

अब हो गया है किस तरह मगरूर आदमी

लेकिन समझ मे मेरी एक बात आये ना

खुद आदमी से हो रहा क्यों दूर आदमी

इस दौड़ मे खुद को बना लिया है एक मशीन

इंसानियत से हो रहा क्यों दूर आदमी

कैसे करे हलाक आम आदमी को  ये  

क्यों हूँ रहा है आज इतना क्रूर आदमी

वो बन गया खुदा कभी भगवान बन गया

जाने  ये किस नशे मे हुआ चूर आदमी    

जितेन्द्र मणि  

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