Wednesday, 8 August 2012


मौला उसको तु खाब का ये बगीचा दे दे



ये जहाँ ज़ुल्म भी करेगा दिल भी तोड़ेगा

अश्क पीकर खुदा हसने का सलीका दे दे

मेरा दिल ऐ खुदा बना दे अब तू पत्त्थर का

गम को नम आँख से पीने का तरीका दे दे

मेरी राहों मे सारे खार बिछा दे मौला

उसको गुल दे गुलिस्ता दे तू गलीचा दे दे

मेरा क्या चंद दिनों का ही हू मेहमान तेरा

मौला उसको तु खाब का ये बगीचा दे दे

जितेन्द्र मणि       

1 comment:

  1. really it,s a great achievement but i need proper time to read all then comment only
    i am very happy ..."apne veyast paishe se door kahin aapka dil bhi dhadkta he vo bhi badi shiddat ke sath " GREAT

    with lot of wishes
    marwah

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