Tuesday, 21 August 2012


अंधेरा ही निगल जायेगा

जो चाँद खुद किसी की

ले पनाह रोशन हो

वो चाँद ख़ाक अँधेरा

मिटा भी पायेगा

जो अपने नूर से दुनिया

को करता हो रोशन

ऐसा सूरज तलाश

अँधेरा मिटाएगा

जरा जल्दी से रोशनी

का करले इंतज़ाम

वरना तो तुझको अंधेरा

ही निगल जाएगा

जितेन्द्र मणि   

No comments:

Post a Comment