Monday, 3 September 2012




खुद को खोने का

भी मलाल नहीं

जहां का खुद का

भी ख्याल नहीं

अभी तलक तो खुद को

खोजता मैं दर बदर था

गली कूचा सभी राहों में

मैं शाम ओ शहर था  

खुदी को खो के ही मैने

तो तुमको  पाया था

खुदा ने खुद ही मुझे

आपसे मिलाया है
जितेन्द्र मणि  

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