प्यार
की रस्म
वो पूछने
लगे मेरे दिल के धडकने का सबब
ना तेरा
नाम बताने को थे तैयार ये लव
सुर्ख आँखों
से बहुत कुछ तो हो रहा था बयां
मेरे चेहरे पे थे बाकी अभी भी उसके निशाँ
ना वो
रुसवा हो कभी,जाये जाँ ना खुले ये लव
निभाऊँ
प्यार को बस इतनी इल्तेजा है या रब
जितेन्द्र मणि
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