आइये और देखिये इस जिन्दगी के शाप को
मैं चलूँगा ले के शहरी झुग्गियो में आप को
किस तरह गुमनाम जीवन जी रहे है सब वहां
...
मुफलिसी का ज़हर हस के पी रहे है सब यहाँ
इतनी बदबू और कचरा स्वास कैसे ले रहे
इस बड़ी महगाई मे जीवन की नैया खे रहे
है सभी बक्टीरिया फैले यहाँ पेय मान लो
पैर जरा करते रहम इन् पीडितो पेय मान लो
जिन्दगी से जोंक बन के सब यहाँ चिपके हुए
जिन्दगी की आरजू मे मौत से लडते हुए
मैं चलूँगा ले के शहरी झुग्गियो में आप को
किस तरह गुमनाम जीवन जी रहे है सब वहां
...
मुफलिसी का ज़हर हस के पी रहे है सब यहाँ
इतनी बदबू और कचरा स्वास कैसे ले रहे
इस बड़ी महगाई मे जीवन की नैया खे रहे
है सभी बक्टीरिया फैले यहाँ पेय मान लो
पैर जरा करते रहम इन् पीडितो पेय मान लो
जिन्दगी से जोंक बन के सब यहाँ चिपके हुए
जिन्दगी की आरजू मे मौत से लडते हुए
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