अफजल गुरु को बचाने के लिया किया गया बम विस्फोट
ज़नाज़ा रोक दो सब देख ले मेरे जिस्म के टुकडे
बडे मुश्किल से जुट पाया है ये टुकडे जो थे बिखरे
...
हुआ विस्फोट औ फिर चीख का तांता ही लग गया
अरे शैतान के हाथो से फिर इंसान मर गया
अधुरे आधे जिस्मो का तो जैसे ढेर लग गया
नहीं पहचान पाया कोई किसका कौन हिस्सा है
की हर विस्फोट का मौला यही बस बनता किस्सा है
मिला जो भी उठाते समझ ये तो उनका हिस्सा है
इन्हे जो मारता लगता तुन्हे कोई फरिस्ता है
जरा पहचान अब्दुल है कहा है कौन काशीनाथ
सभी बिखरे पडे है धुल मे बिखरे पडे है साथ
सभी का खून तो है लाल फिर ये भेद कैसा है
हमारी एकता की शाल मे ये छेद कैसा है
बस एक अफज़ल की खातिर कितने अफज़ल मार डाले है
सियासत करने वालो के भी मन क्या इतनी काले है
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
पुलिस मुख्यालयSee more
ज़नाज़ा रोक दो सब देख ले मेरे जिस्म के टुकडे
बडे मुश्किल से जुट पाया है ये टुकडे जो थे बिखरे
...
हुआ विस्फोट औ फिर चीख का तांता ही लग गया
अरे शैतान के हाथो से फिर इंसान मर गया
अधुरे आधे जिस्मो का तो जैसे ढेर लग गया
नहीं पहचान पाया कोई किसका कौन हिस्सा है
की हर विस्फोट का मौला यही बस बनता किस्सा है
मिला जो भी उठाते समझ ये तो उनका हिस्सा है
इन्हे जो मारता लगता तुन्हे कोई फरिस्ता है
जरा पहचान अब्दुल है कहा है कौन काशीनाथ
सभी बिखरे पडे है धुल मे बिखरे पडे है साथ
सभी का खून तो है लाल फिर ये भेद कैसा है
हमारी एकता की शाल मे ये छेद कैसा है
बस एक अफज़ल की खातिर कितने अफज़ल मार डाले है
सियासत करने वालो के भी मन क्या इतनी काले है
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
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