मैं बैठा परदेश यहाँ मुझे बरसो बीत गया
माँ रोयी मेरी याद में मेरा दामन भीग गया
फ़ोन किया जब माँ को बोली दही जमाया है
...
आज याद में तेरी चावल कढ़ी बनाया है
जो तू बहुत चाव से खाता मैं निहारती तुझको
तेरे मुख को चूम के बेटा मैं दुलारती तुझको
दही बहुत खट्टी लगती है तेरे बिन ओ लाल
अब तो बस तू आजा बेटा बीते कितने साल
ममता कसक रही बिन तेरे बुरा है माँ का हाल
अंतिम समय की अंतिम आशा कर दे पूरी लाल
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
पुलिस मुख्यालय
माँ रोयी मेरी याद में मेरा दामन भीग गया
फ़ोन किया जब माँ को बोली दही जमाया है
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आज याद में तेरी चावल कढ़ी बनाया है
जो तू बहुत चाव से खाता मैं निहारती तुझको
तेरे मुख को चूम के बेटा मैं दुलारती तुझको
दही बहुत खट्टी लगती है तेरे बिन ओ लाल
अब तो बस तू आजा बेटा बीते कितने साल
ममता कसक रही बिन तेरे बुरा है माँ का हाल
अंतिम समय की अंतिम आशा कर दे पूरी लाल
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
पुलिस मुख्यालय
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