ऐतबार
वो मेरा ऐतबार ही तो हो ओ मेरे खुदा
जिसने एक ना खुदा को देख बनाया है खुदा
वरना मस्जिद मे शिवालो मे भी रखा क्या है
वरना गिरजो मे हिमाला मे भी क्या रखा है
बुतों मे पत्थरो पहाड़ो मे क्या रखा है
घंटियों शंख अजानो मे भी क्या रखा है
शबद में साखी पुरानो मे भी क्या रखा है
यही वो ऐतबार है मेरे परवरदिगार
जो पत्थरो मे मस्जिदो मे भी दिखाए खुदा
जिसे भी चाहे ऐतबार बनाए है खुदा
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
वो मेरा ऐतबार ही तो हो ओ मेरे खुदा
जिसने एक ना खुदा को देख बनाया है खुदा
वरना मस्जिद मे शिवालो मे भी रखा क्या है
वरना गिरजो मे हिमाला मे भी क्या रखा है
बुतों मे पत्थरो पहाड़ो मे क्या रखा है
घंटियों शंख अजानो मे भी क्या रखा है
शबद में साखी पुरानो मे भी क्या रखा है
यही वो ऐतबार है मेरे परवरदिगार
जो पत्थरो मे मस्जिदो मे भी दिखाए खुदा
जिसे भी चाहे ऐतबार बनाए है खुदा
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
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