खुदा का अक्स ही तुझमे दिखाई देता है
तू कुछ भी बोल खुदा ही सुने देता है
मौला ये कैसा असर तेरे दर का मुझपे हुआ
...
हर एक सू मे तू ही तू दिखाई देता है
तेरा ये रूप इतना सोना ओ मौला मेरे
तेरा ही नूर हर जगह दिखाई देता है
मेरी एक आरजू तो पूरी कर परवरदिगार
मेरी हर आरजू के बदले सादगी दे दे
अपने दर पर दी तो तू रख मुझे अल्लाह मेरे
मुझे भी ओनी वो जमाल ऐ बंदगी दे दे
स्वरचित जीतेन्द्र मणि
तू कुछ भी बोल खुदा ही सुने देता है
मौला ये कैसा असर तेरे दर का मुझपे हुआ
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हर एक सू मे तू ही तू दिखाई देता है
तेरा ये रूप इतना सोना ओ मौला मेरे
तेरा ही नूर हर जगह दिखाई देता है
मेरी एक आरजू तो पूरी कर परवरदिगार
मेरी हर आरजू के बदले सादगी दे दे
अपने दर पर दी तो तू रख मुझे अल्लाह मेरे
मुझे भी ओनी वो जमाल ऐ बंदगी दे दे
स्वरचित जीतेन्द्र मणि
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