काट दो मेरे हाथ फिर भी माँगूगा अपना मैं हक
काट दो मेरे पैर फिर भी बधोंगा मंजिल की ओर
काट दो जबान फिर भी बोलूँगा सच्ची बाते
...
रोक लो रहे मेरी खोज लूँगा नयी डगर
फोड़ दो मेरी आँखे फिर भी देखूंगा विजय के सपने
तोड़ दो मेरी उम्मीदे फिर भी हौसला रखूँगा मैं
कर लो चाहे जो भी प्रयास अब नहीं रुकुंगा मैं
हौसले से अडिग अविचल ओनी हिम्मत से भरा
जब तलाक है जान अब चलता रहूँगा मैं
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
पुलिस मुख्यालय
काट दो मेरे पैर फिर भी बधोंगा मंजिल की ओर
काट दो जबान फिर भी बोलूँगा सच्ची बाते
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रोक लो रहे मेरी खोज लूँगा नयी डगर
फोड़ दो मेरी आँखे फिर भी देखूंगा विजय के सपने
तोड़ दो मेरी उम्मीदे फिर भी हौसला रखूँगा मैं
कर लो चाहे जो भी प्रयास अब नहीं रुकुंगा मैं
हौसले से अडिग अविचल ओनी हिम्मत से भरा
जब तलाक है जान अब चलता रहूँगा मैं
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
पुलिस मुख्यालय
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