Tuesday, 17 July 2012


अपने दिल मे उतरा तुझे

अब ना दूरी गवारा मुझे

रूह मे जा के तुम बस गयी
...
क्या खुदा ने सवारा तुम्हे

अब जलाती है तन्हाइया

ना बिछड़ना दुबारा हमे

जिस्म ओ जान एक ही हो गयी

तेरी बाहो में खो ही गयी

कितने तूफ़ान से मै लड़ा

फिर बनाया किनारा तुम्हे

दिल किया है हवाले तेरे

क़दमो मे ये मेरा प्यार है

सबसे सुन्दर सलोना गजब

मार हमदम वफादार है

जा अगर तो सलामत रही

खाता हूँ आज तेरी क़सम

नजरे हैरत मे पड़ जायेंगी

दिखाऊ वो नजारा तुम्हे

जख्म का कारवा सा बना

जिस्म सबके दिए घाव से

मार कर ठोकरे ये जहा

है मज़ा ले रहा चाव से

बिन तेरे मैं हूँ कुछ भी नहीं

है बनाया सहारा तुम्हे

चाहे जाओ कही रूठ के

ढूंढ लूँगा दुबारा तुम्हे


स्वरचित

जीतेन्द्र मणि

सहायक आयुक्त पुलिस

पी सी आर

पुलिस मुख्यालय

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