माँ की याद मे
आज दिल खोल करके
रोऊँगा
अब नहीं माँ जो चुप
कराएगी
वो नहीं है जो प्यार
से मुझको
वो मधुर लोरियाँ सुनाएगी
भर के ममता से अब
नहीं माता
हाथ सर पर मेरे
फिराएगी
अब नहीं है जो लाख गलती हो
मुझको पापा से वो
बचायेगी
कितने करके जतन नहीं
अब वो
निवाला मुझको अब
खिलाएगी
छोड़ कर क्यों गये ओ
माँ मेरी
मुझको ऐसे तू क्यों
रुलाएगी
क्या नहीं सोंचा ये
कभी तूने
याद कितना मुझे तू
आयेगी
जितेन्द्र मणि
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