Tuesday 17 July 2012

अरे गुलाब तू क्या हुनर ये सिखाएगा

खर के बीच भी कैसे तू मुस्कुराएगा

इतनी दुश्वारियो के बीच भी पनप कर के
...
इतनी शोखी से तू कैसे तो खिल्खिलायेगा

कड़ी चुभन के बीच खार ऐ सेज पर ओ गुलाब

फिजा मे रंग और खुशबू ही तू फैलाएगा

तेरी टहनी के लाख कर ले लोग टुकडे भी

जहा भी पायेगा हालात तू लग जायेगा

नयी खुशबू नयी टहनी नयी पंखुर ले के

नए जज्बे से हर एक बार पनप जायेगा

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