अरे गुलाब तू क्या हुनर ये सिखाएगा
खर के बीच भी कैसे तू मुस्कुराएगा
इतनी दुश्वारियो के बीच भी पनप कर के
...
इतनी शोखी से तू कैसे तो खिल्खिलायेगा
कड़ी चुभन के बीच खार ऐ सेज पर ओ गुलाब
फिजा मे रंग और खुशबू ही तू फैलाएगा
तेरी टहनी के लाख कर ले लोग टुकडे भी
जहा भी पायेगा हालात तू लग जायेगा
नयी खुशबू नयी टहनी नयी पंखुर ले के
नए जज्बे से हर एक बार पनप जायेगा
खर के बीच भी कैसे तू मुस्कुराएगा
इतनी दुश्वारियो के बीच भी पनप कर के
...
इतनी शोखी से तू कैसे तो खिल्खिलायेगा
कड़ी चुभन के बीच खार ऐ सेज पर ओ गुलाब
फिजा मे रंग और खुशबू ही तू फैलाएगा
तेरी टहनी के लाख कर ले लोग टुकडे भी
जहा भी पायेगा हालात तू लग जायेगा
नयी खुशबू नयी टहनी नयी पंखुर ले के
नए जज्बे से हर एक बार पनप जायेगा
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