बड़ी अजीब सी ये दिल की लगी है साहिब
दिन की बैचैनिया है ,रतजगी भी है साहिब
जाने खुद को जला के भी क्यों मजा आता है
...
कोई खुद से भी अधिक दिल को कैसे भाता है
हँसते हँसते करी निसार जिन्दगी साहिब
बड़ी अजीब -------------------------साहिब
लुटाना चैन और करार सब सनम के लिए
दिल औ जान कर दिया निसार बस सनम के लिए
प्यार का सौदा है चलेगी न ठगी साहिब
बड़ी अजीब सी ------------------------------ ---------साहिब
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
पुलिस मुख्यालय
दिन की बैचैनिया है ,रतजगी भी है साहिब
जाने खुद को जला के भी क्यों मजा आता है
...
कोई खुद से भी अधिक दिल को कैसे भाता है
हँसते हँसते करी निसार जिन्दगी साहिब
बड़ी अजीब -------------------------साहिब
लुटाना चैन और करार सब सनम के लिए
दिल औ जान कर दिया निसार बस सनम के लिए
प्यार का सौदा है चलेगी न ठगी साहिब
बड़ी अजीब सी ------------------------------
स्वरचित
जीतेन्द्र मणि
सहायक आयुक्त पुलिस
पी सी आर
पुलिस मुख्यालय
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