Wednesday, 18 July 2012

                          जिन्दगी
 
उठाना गिरना तो अजब रीत है इस दुनिया की

उठ के चल दीजिए चाहे लाख ही गिरते रहिए

कुछ तो अब सीखिए सूरज से भी इस दुनिया मे
 
डूबिये जितना मगर फिर से निकलते रहिये
जिन्दगी की तपिश बहुत ही तेज होती है
जमे रहिये की चाहे लाख पिघलते रहिये
जी लो जिन्दादिली से यार तुम इस दुनिया मे
ये क्या की रोज यहाँ डर के बस मरते रहिये

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