जिन्दगी
उठ के चल दीजिए चाहे लाख ही गिरते रहिए
कुछ तो अब सीखिए सूरज से भी इस दुनिया मे
उठाना गिरना तो अजब रीत है इस दुनिया की
उठ के चल दीजिए चाहे लाख ही गिरते रहिए
कुछ तो अब सीखिए सूरज से भी इस दुनिया मे
डूबिये जितना मगर फिर से निकलते रहिये
जिन्दगी की तपिश बहुत ही तेज होती है
जमे रहिये की चाहे लाख पिघलते रहिये
जी लो जिन्दादिली से यार तुम इस दुनिया मे
ये क्या की रोज यहाँ डर के बस मरते रहिये
jina isi ka naam he.....:-)
ReplyDelete