Monday 23 July 2012

                         
तेरे नाम करता चलूँ  

एक अरसे से तो दिन गुजरा मेरा गुमसुम सा

तेरे पहलू मे अपनी रंगीन शाम करता चलूँ

तेरी नजरे है एक मैखाना ओ मेरे दिलवर

अपने हिस्से मे भी दो चार जाम करता चलूँ

बड़ा है नाम चीन मेरा यार महफ़िल मे

उसीसे से जुड के ही कुछ अपना नाम करता चलूँ

नहीं हिस्से मे मेरे शोहरत ए जमाल मणि   

मैं करके इश्क खुद को बदनाम करता चलूँ    

जितनी साँसे जितनी धड़कान बची है इस दिल मे

अपने दिलवर के नाम ये तमाम करता चलूँ

चालू अभी तो बहुत दूर तलक़ चलना है

सफर पे निकलू ,ये भी अपना काम करता चलूँ

ये गज़ल तुझपे है निसार जानेमन मेरी

दिल जिगर जान गज़ल तेरे नाम करता चलूँ    


                    

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