मेरी वानी मेरे बोल ......
Thursday 27 September 2012
कुछ इसे गुदगुदा गया है कोई
खुशी से यूँ रुला गया है कोई
अब नहीं कुछ सुनाई पड़ता है
प्यार से यूँ बुला गया है कोई
जितेन्द्र मणि
1 comment:
Prateek Sancheti
11 December 2012 at 02:59
प्यार की जुबां कहाँ होती है,
भावो मे ही उडाने मिल जाती है।
रचना:
प्रतीक संचेती
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प्यार की जुबां कहाँ होती है,
ReplyDeleteभावो मे ही उडाने मिल जाती है।
रचना:
प्रतीक संचेती