विद्रूपता
देख के इतनी भयानक
दुनिया
भरी काँटों से भयावह
दुनिया
जहा प्यासे सभी देखो
लहू के
ऎसी शोषक है ये अज़ब
दुनिया
नोच कर खा रहे एक
दूसरे को
बड़ी है क्रूर ये गज़ब
दुनिया
देख कर इसको एक
मासूम बच्चा
बड़ा होने से भी घबरा रहा है
जिस तरह कर रहे हम
भ्रूण हत्या
अरे मासूम की वो
घृणित हत्या
अरे जो कोख मे है
अपनी माँ की
जन्म लेने से भी
कतरा रहा है
जितेन्द्र
मणि
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