दिल की आवाज़
अपने दिल मे उतरा तुम्हे
अब ना दूरी गवारा हमे
रूह मे जा के तुम बस गये
किस खुदा मे सवांरा तुम्हे
अब जलाती है तन्हाइयां
ना बिछड़ना दुबारा हमे
जिस्म ओ जाँ एक हो ही गये
तेरी बाहों मे खो ही गये
कितने तूफ़ान से टकरा गये
फिर बनाया किनारा तुम्हे
दिल किया अब हवाले तेरे
कदमो मे ये मेरा प्यार है
सबसे सुंदर सलोना गज़ब
कितना प्यारा मेरा यार है
गर रही जाँ सलामत सनम
खाता हूँ आज तेरी क़सम
नज़रें हैरत मे पड़ जाएंगी
वो दिखाऊँ नज़ारा तुम्हे
है सिसकता मेरा जिस्म ये
इस जहाँ के दिए घाव से
चोट पे चोट देते सभी
फिर मज़ा लेते है चाव से
अब तेरा ही सहारा मुझे
बिन तेरे अब ना गुज़ारा मेरा
चाहे कितना भी तुम भाग लो
ढूंढ लूँगा दुबारा तुम्हे
जितेन्द्र मणि
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