ज़मीर
जिन्दगी भर वो लड़ा
हिम्मत से पर
आज वो देखो खड़ा
झुकाए सर
आज अपने दिल के
टुकड़े को पड़ा
जिन्दगी से हारता
,कितना लड़ा
बेच डाला उसमे कल
अपना ज़मीर
जिन्दगी का आखरी
जेवर गया
पर वो बच्चा जो था
बिस्तर पे पड़ा
बाप के आने से पहले
मर गया
जितेन्द्र मणि
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