जिंदगी का आखरी जेवर
गया
तंग
आकार मुफलिसी के दौर से
कर के
हर कोशिश बड़े ही गौर से
हार
कर बच्चों की ज़लिम भूख से
अपनी
अस्मत बेचने को वो चली
मगर फिर किस्मत के हाथों देख लो
किस
तरह से देखो गयी है वो छली
लूट
डाला नोच डाला भेडियों ने राह मे
जिंदगी
का आखरी जेवर गया
जितेन्द्र मणि
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