इंसान नहीं बनने को तैयार आदमी
इंसान बन सका ना लाख करके वो जतन
फिर भी तो खुदा बनने को तैयार आदमी
पैसे की भूख ,प्यार है शोहरत से इस क़दर
जीने के लिए मरने को तैयार आदमी
कोशिश तो बड़ी की कई करतब दिखा लिया
लेकिन खुदा के आगे है लाचार आदमी
चंदा पे कदम रखा वो मंगल पे जा पंहुचा
इंसानियत की धरती पे जाने भला तो क्यों
इंसानो सा ना चलने को तैयार आदमी
वो हिंदू बना सिक्ख,मुलमान भी बना
इंसान नहीं बनने को तैयार आदमी
जितेन्द्र मणि
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