ना सुकून का इसमे आसार है
तु जो दरम्यान मेरे यार है
जाने दिल को क्यों ना करार है
वो चला जाएगा मेरे पहलू से
इसी बात से दिल बेजार है
तु जो दूर हो तो भी ना सुकून
बस दिल को तेरा इन्तेजार है
ये अज़ब है प्यार का सिलसिला
ना सुकून का इसमे आसार है
जितेन्द्र मणि
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