Tuesday, 11 September 2012


चंदा तेरा दीदार अब तो हम ना करेंगे

 

चेहरे पे लिए दाग चंदा तुझे क्यों गुरूर

तुझपे अदाओं का है छाया कैसा ये सुरूर

लेकर पराया नूर चंदा किस भरम मे है

तुझमे भी है क्या शर्मोहया जो सनम मे है

जो खुद के नूर से सुकून देती है मुझको

नज़रों के इशारे से चुरा लेती है दिल को

मुझको नहीं तेरी ज़रूरत सुन ले ओ चंदा

अब ईद को कहेंगे सनम आज छत पे आ

हम उसको देख कर के अपनी ईद करेंगे

चंदा तेरा दीदार अब तो हम ना करेंगे

जितेन्द्र मणि         

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