हाई
कोर्ट दिल्ली बम बिस्फो़ट
वो आया सूटकेस मे ले
मौत का सामान
किस बुजदिली से देखो
अपना काम कर गया
इंसान हैवानी हदों
के पार कही जा
कितनी गिरी हरकत ये
सरेआम कर गया
उठा धमाका एक जो
इंसाफ के दर पे
इंसा का जिस्म चिथडे
के मानिंद बिखर गया
गम ये है नफरतों के
ज़लजले के बीच
हिंदू मारा या कोई
मुसलमान मर गया
गम है तो ये की
फिरकापरस्ती की आग मे
शैतान के हाथो से
फिर इंसान मर गया
जितेन्द्र
मणि
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