Friday, 7 September 2012


हाई कोर्ट दिल्ली बम बिस्फो़ट

वो आया सूटकेस मे ले मौत का सामान

किस बुजदिली से देखो अपना काम कर गया

इंसान हैवानी हदों के पार कही जा

कितनी गिरी हरकत ये सरेआम कर गया

उठा धमाका एक जो इंसाफ के दर पे

इंसा का जिस्म चिथडे के मानिंद बिखर गया

गम ये है नफरतों के ज़लजले के बीच

हिंदू मारा या कोई मुसलमान मर गया

गम है तो ये की फिरकापरस्ती की आग मे

शैतान के हाथो से फिर इंसान मर गया

जितेन्द्र मणि    

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