ज़माने के लिए
ये
संग दिलों का शहर है
चलना
सम्हल के तुम
यहाँ
पलकों पे बिठाते
है
गिरने हे लिए
यहाँ
कुछ रिश्ते जी रहे
है लोग दुनिया मे
चाहिए
उनको भी कुछ
लोग
दिखाने के लिए
बिना
जज़्बात वो निभा
रहे
है रिश्तों को
उनको
चाहिए ये रिश्ते
सिर्फ
जमाने के लिए
जितेन्द्र मणि
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