प्यार
अज़ब है
दिल अज़ब है दिल की ये सियासत भी
जो दिल दुखाए क्यों उसी पे हमे प्यार आये
जिसकी
यादो मे हम यूँ बेसबब से फिरते हों
बिना उस
बैरी के दिल को नहीं करार आये
बहुत से लोग चले राहे ए इश्क पर लेकिन
जो जितनी
डूबे वही इस नदी के पार आये
तमाम लोग
तो खो ही गए अंधेरों मे
वो जो
लौटे वो भी कितने बेक़रार आये
वो लाख ही
करे यूँ मेरे प्यार को रुसवा
इसी पे या
खुदा मुझको तो और प्यार आये
हमने ये
जाँ ओ दिल निसार कर दिया उनको
लाख चाहे
अब इनके होठों पर इनकार आये
जितेन्द्र मणि
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