Thursday 11 April 2013


                प्यार

अज़ब है दिल अज़ब है दिल की ये सियासत भी

 जो दिल दुखाए क्यों  उसी पे हमे प्यार आये

जिसकी यादो मे हम यूँ बेसबब से फिरते हों

बिना उस बैरी के दिल को नहीं  करार आये

बहुत  से लोग चले राहे ए इश्क पर लेकिन

जो जितनी डूबे वही इस नदी के पार आये

तमाम लोग तो खो ही गए अंधेरों मे

वो जो लौटे वो भी कितने बेक़रार आये

वो लाख ही करे यूँ मेरे प्यार को रुसवा

इसी पे या खुदा मुझको तो और प्यार आये

हमने ये जाँ ओ दिल निसार कर दिया उनको

लाख चाहे अब इनके होठों पर इनकार आये

जितेन्द्र मणि  

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