Wednesday, 3 April 2013


          कहाँ मिलते है

अब तो हर शहर मे कूचे मे गली मे देखो

हिंदू और सिक्ख ,मुसलमान यहाँ मिलते है

मगर ये देश का दुर्भाग्य देख लो यारो

लाल भारत के ये इंसान कहाँ मिलते है

घंटियाँ बज रही अज़ान हो रहे लेकिन

रात को रास्ते सुनसान यहाँ मिलते है

खूब मस्जिद है यहाँ मंदिरों का जमघट है

मगर खुदा कहाँ ,भगवान कहाँ मिलते है

जितेन्द्र मणि

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