भुलाया नहीं जाता
जो शख्स
मुहब्बत की 
इबारत
की तरह है 
जो
काबा है चिश्ती है 
जो
हज़रत की तरह है  
उस से
निगाह भी तो 
चुराया
नहीं जाता 
ये
दिल फ़ना कर कुछ 
भी
बचाया नहीं जाता 
आँखों
मे बसे औलिया 
का
नूर ए बेशुमार 
तुझको
बहुत चाहा है 
भुलाया
नहीं जाता
जितेन्द्र मणि   
No comments:
Post a Comment