Wednesday, 17 April 2013


भुलाया नहीं जाता

जो शख्स मुहब्बत की

इबारत की तरह है

जो काबा है चिश्ती है

जो हज़रत की तरह है 

उस से निगाह भी तो

चुराया नहीं जाता

ये दिल फ़ना कर कुछ

भी बचाया नहीं जाता

आँखों मे बसे औलिया

का नूर ए बेशुमार

तुझको बहुत चाहा है

भुलाया नहीं जाता

 

जितेन्द्र मणि   

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