हज़ार कांधे
ज़नाजे पर तेरे आयेंगे
डर के साये मे नजाने
जी रहे है क्यों भला
इतनी आसानी से ये
मौत भी ना पाएंगे
आप नाहक ही परेशान मौत
से अपनी
ऐसे क्या जिंदगी भी खाक
ही जी पाएंगे
रोज डरते है की मर
जाय ना कही अब हम
आप जिन्दा ही कहा है
की जो मर जायेंगे
गुजर गये भी तो ना
कारवां होगा कोई
ना ही दिलदार दिल से
कंधा ही लगाएंगे
जो चले मौत की आँखों
मे भी आंखे डाले
हज़ार कांधे ज़नाजे पर
तेरे आयेंगे
जितेन्द्र
मणि
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