Sunday 26 August 2012


            प्यार

ये जो रिश्तों का जहाँ है बड़ा अजब प्यारों

इसे समझना है बड़ा कठिन गज़ब प्यारों

कोई है इस कदर अजीज़ अपने दिल को तो

हम उसके वास्ते जाँ तक निसार कर देंगे

किसी की एक हंसी एक मुस्कराहट को

अपना हर खाब आरजू निसार कर देंगे

कोई अपने से भी प्यारा भी है अज़ीज़ भी है

दिल है कायल उसी का उसी का मुरीद भी है

उसके चाहत मे कितना अरसा यू गुजारा है

उसको नज़रों के ज़रिये रूह मे उतारा है

उसकी खातिर ही सब निसार करेंगे यारों

इस तरह जाँ ए जाँ से प्यार करेंगे यारों

जितेन्द्र मणि    

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