Friday 31 August 2012


चांदनी रात मे दो चाँद के दीदार ना हो

 

सुनों भवरों मेरी गुजारिश तुम कबूल करो

तुम मेरे चाँद के आगे नकाब बन के चलो

आज की रात मेरा  चाँद आ रहा मिलने

इतना सफाक़ उजला चाँद देखा है किसने

चाँद फलक मे भी ,है चाँद जमी पर भी यहाँ

वहाँ  है दाग लिए चाँद ,है चाँद बेदाग यहाँ

फलक का चाँद कही खुद से शर्मसार ना हो

चांदनी रात मे दो चाँद के दीदार ना हो

जितेन्द्र मणि  

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