Friday 17 August 2012


अपने दर पे  मुझे भी ले मेरे गरीब नवाज

या मेरे मौला या मेरे गरीब नवाज़

उठा के हाथ मैं भी मांगता हूँ तुझसे आज

मुझे न चाहिए इस दो जहाँ की दौलत भी

न मुझको चाहिए ओहदा ना ही तख़्त ओ ताज

अगर करम ही तु है चाहता करना मुझ पे 

छेड दे मुझमे भी तु अपनी बंदगी का साज

मुझसे कर दूर खुदी इतना रहम हो जाए

अपने दर पे  मुझे भी ले मेरे गरीब नवाज

जितेन्द्र मणि 

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