Thursday 9 August 2012


जज्बे के बिना कोई सिकंदर नहीं होता

चलने के लिए राह नहीं चाहिए हिम्मत

जज्बे के बिना कोई सिकंदर नहीं होता

कितने तो दरिया आप समां जाते है इसमे

दरिया कभी भी आप समंदर नहीं होता

म्हणत से तुम बटोर लो ये खाब के मोती

कोई भी टाटा बिरला कलंदर नहीं होता

जितेन्द्र मणि        

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