Thursday 3 October 2013


           बाज़ीगरी

तु है लव्जों का बाजीगर बड़ी शफा तुझमे

तु शायरी का हुनर यूँ ही आजमाता जा

मुझे तु कर दे हौले हौले से जुदा मुझसे

रफ्ता रफ्ता मुझे यूँ अपना तु बनाता जा

जितेन्द्र मणि