खुली थी आँख तब भी जब ये मेरी आँख लगी
अज़ब है आंखों की लगी की दास्ताँ साहिब
आंख लगी तक नहीं हमारी मुई आँख लगी
आज जब आँख लगी दिल्लगी तो ये देखो
लगी ना एक पल को आँख जब से आँख लगी
आग लग जाय ऐ खुदा इस आँख लगने को
लग गयीं आँख पर मुई ना मेरी आँख लगी
इंतेजारी मे दर् पे लग गयी मेरी आंखे
खुली थी आँख तब भी जब ये मेरी आँख लगी
जितेन्द्र मणि
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त
दिल्ली