मंदिर भी बनाओ नए मस्जिद भी बनाओ
पर पहले खुदा राम को मन मे तो बसाओ
माला तिलक से घंटियो से बनती नहीं बात
मस्जिद पे तुम चिल्लाओ खुदा सुनते नहीं बात
इसमे तुम इबादत भजन का भाव चढाओ
इंसान के ज़ज्बातों को भी दो जरा
तरजीह
इंसानियत को शर्म के आंसू ना
रुलाओ
इंसान से इंसानियत से है जुडा हर
धर्म
अब तुम बचा सकते हो तो ईमान बचाओ
पंडित बनो की मौलवी क्या फर्क है
मुझे
इंसान बन के पहले तुम मुझको तो दिखाओ
जितेन्द्र मणि
अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस
दिल्ली
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