Monday, 2 September 2013


मंदिर भी बनाओ नए मस्जिद भी बनाओ

पर पहले खुदा राम को मन मे तो बसाओ

माला तिलक से घंटियो से बनती नहीं बात

मस्जिद पे तुम चिल्लाओ खुदा सुनते नहीं बात

इसमे तुम  इबादत भजन का भाव चढाओ  
इंसान के ज़ज्बातों को भी दो जरा
 तरजीह

इंसानियत को शर्म के आंसू ना   
रुलाओ  

इंसान से इंसानियत से है जुडा हर 
 धर्म

 अब तुम बचा सकते हो तो ईमान  बचाओ

पंडित बनो की मौलवी क्या फर्क है

मुझे

इंसान बन के पहले तुम मुझको तो दिखाओ

 

 

जितेन्द्र मणि

अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस

दिल्ली

No comments:

Post a Comment