Friday, 20 September 2013


             हमे क्यों खौफ लगता है बताओ इन खुदाओ से

 

ना जाने हूँ गया है क्या ,क्यों इतनी हो गये ज़ालिम

ना जाने क्यों  जूनून छाया है अपने  रहनुमाओं मे

खुदा के नाम पर वो किस तरह से देख लो अब तो

ज़हर है घोलते अब तो वो इन सारी दिशाओं मे

रहा दम घुट ,कि थमती जा रही सांसे मेरी अब तो

भरी नफरत है अब कितनी ज़रा देखो हवाओं मे

सभी है जल रहे इस आग मे फिरका परस्ती के

ये किसी आग भडकी मंदिर ओ मस्जिद की छाओं मे

ना जाने दौर ये कैसा ,नहीं शैतान से बस डर  

हमे क्यों खौफ लगता है बताओ इन खुदाओ से

जितेन्द्र मणि

 

 

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