म्रेरे जीने की तमन्ना को कर दे मुझ से जुदा
जिसके मैं पास गया
खा के ज़माने के ज़ख़्म
समझा जिसको खुदा निकला
वही जो संग दिल सनम
ज़हाँ के लोग पड़े थे
जो जाँ के पीछे
मैं जिसके पास गया
अपनी आँख को भींचे
मगर उसी ने बिछाया
था जाल ये सारा
बड़े बेदर्दी से बेमौत
मैं गया मारा
बात जब मेरी समझ
आयी बोला मेरे खुदा
म्रेरे जीने की तमन्ना
को कर दे मुझ से जुदा
जितेन्द्र मणि
अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस
दिल्ली
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