रक्षा बंधन के पावन पर्व पर अपनी चारों बहनों साधना दी ,माधुरी दी ,सुनिष्ठा और शशि को समर्पित
मेरी बहनों मुझे है नाज़ तुम पर
तुम्हारी, भाव पर ,आराधना पर
तुम्हारे व्रत पे तेरी साधना पर
सहे दुःख सुख सभी फिर भी रहे संग
वो झगडों के ठिठोली के मधुर क्षण
वो अठखेली के मोहक़ सुखद पलछिन
तुम्हारे स्नेह से आशीष से ही
सफलता मुझको भी आखिर मिली ही
आज राखी के पावन पर्व पर भी
तुम्हे दिल याद करता आज अब भी
मेरे तुम मान का सम्मान रखना
तुम्हारी उम्र भर रक्षा करूँगा
मुसीबत का हो कितना तेज अंधड़
मैं अपने दम पे उसको मोड़ दूंगा
हमे माँ बाप का अभिमान रखना
भले विष कितना ही पड़ता हो चखना
मुबारक तुमको ये राखी ओ बहना
हो तुम मेरे हृदय का अब भी गहना
अपनी चारों बहनों साधना दी ,माधुरी दी ,सुनिष्ठा और शशि को समर्पित
जितेन्द्र मणि
अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस
दिल्ली
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