Friday, 30 August 2013


खुदा खुदा ही जाने क्यों  सुनाई दे मुझको         

 

ये किस मकाम पे लाई है इबादत मुझको

खुदा खुदा ही हर तरफ दिखाई दे मुझको

मैं इबादत मे तेरी इस क़दर दीवाना हुआ

किसी को देखू खुदा ही दिखाई दे मुझको

तेरी आयत या शरियत या कुछ भी बोल मुझे

खुदा खुदा ही जाने क्यों  सुनाई दे मुझको         

जितेन्द्र मणि

अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस

दिल्ली

 

म्रेरे जीने की तमन्ना को कर दे मुझ से जुदा        

 

जिसके मैं पास गया

खा के ज़माने के ज़ख़्म

समझा जिसको खुदा निकला

वही जो संग दिल सनम

ज़हाँ के लोग पड़े थे

जो जाँ के पीछे

मैं जिसके पास गया

अपनी आँख को भींचे

मगर उसी ने बिछाया

था जाल ये सारा

बड़े बेदर्दी से बेमौत

मैं गया मारा

बात जब मेरी समझ

आयी बोला मेरे खुदा

म्रेरे जीने की तमन्ना

को कर दे मुझ से जुदा        

 

जितेन्द्र मणि

अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस

दिल्ली

 

Tuesday, 20 August 2013


रक्षा बंधन के पावन पर्व पर अपनी चारों बहनों साधना दी ,माधुरी दी ,सुनिष्ठा और शशि को समर्पित

 

मेरी बहनों मुझे है नाज़ तुम पर

तुम्हारी, भाव पर ,आराधना पर

तुम्हारे व्रत पे तेरी साधना पर

सहे दुःख सुख सभी फिर भी रहे संग

वो झगडों के ठिठोली के मधुर क्षण

वो अठखेली के मोहक़ सुखद पलछिन

तुम्हारे स्नेह से आशीष से ही

सफलता मुझको भी आखिर मिली ही

आज राखी के पावन पर्व पर भी

तुम्हे दिल याद करता आज अब भी

मेरे तुम मान का सम्मान रखना

तुम्हारी उम्र भर रक्षा करूँगा

मुसीबत का हो कितना तेज अंधड़

मैं अपने दम पे उसको मोड़ दूंगा

हमे माँ बाप का अभिमान रखना

भले विष कितना ही पड़ता हो चखना  

मुबारक तुमको ये राखी ओ बहना

हो तुम मेरे हृदय का अब भी गहना

 

अपनी चारों बहनों साधना दी ,माधुरी दी ,सुनिष्ठा और शशि को समर्पित  

जितेन्द्र मणि

अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस

दिल्ली