Wednesday 26 September 2012


दिल की आवाज़

अपने दिल मे उतरा तुम्हे  

अब ना दूरी गवारा हमे

रूह मे जा के तुम बस गये

किस खुदा मे सवांरा तुम्हे

अब जलाती है तन्हाइयां

ना बिछड़ना दुबारा हमे

जिस्म ओ जाँ एक हो ही गये

तेरी बाहों मे खो ही गये

कितने तूफ़ान से टकरा गये

फिर बनाया किनारा तुम्हे

दिल किया अब हवाले तेरे

कदमो मे ये मेरा प्यार है

सबसे सुंदर सलोना गज़ब

कितना प्यारा मेरा यार है

गर रही जाँ सलामत सनम

खाता हूँ आज तेरी क़सम

नज़रें हैरत मे पड़ जाएंगी

वो दिखाऊँ नज़ारा तुम्हे

है सिसकता मेरा जिस्म ये

इस जहाँ के दिए घाव से

चोट पे चोट देते सभी

फिर मज़ा लेते है चाव से

अब तेरा ही सहारा मुझे  

बिन तेरे अब ना गुज़ारा मेरा

चाहे कितना भी तुम भाग लो

ढूंढ लूँगा दुबारा तुम्हे

जितेन्द्र मणि    

No comments:

Post a Comment